पृथ्वी घूर्णन करती हुई (गोले के बीच के सफ़ेद तीर) हर दिन एक चक्कर पूरा कर लेती है।
3.
हम उन्हे कभी नही समझा पायेंगे कि हमारा हृदय शरीर के बायें है, या किस दिशा मे पृथ्वी घूर्णन करती है या किस दिशा मे डी एन ए के अणुओ के पेंच घुमे हुये है।
4.
हम उन्हे कभी नही समझा पायेंगे कि हमारा हृदय शरीर के बायें है, या किस दिशा मे पृथ्वी घूर्णन करती है या किस दिशा मे डी एन ए के अणुओ के पेंच घुमे हुये है।